एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए - Bewafa Shayari

Deepak Kumar Bind

Bewafa Shayari

एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए - Bewafa Shayari


 ऐ ज़िन्दगी तू अपनी रफ़्तार पे ना इतरा,

जो रोक ली 🙅मैंने अपनी साँसें तो तू भी चल ना पायेगी…



तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है,

जिसका रास्ता बहुत खराब है,

मेरे ज़ख़्म का अंदाज़ा ना लगा,

❤️दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है

हमने ❤️दिल जो वापीस मांगा तो सिर जुका के बोले,

वो तो टुंट गया युहि खेलते खेलते…….



एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए,

मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए…


एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए - Bewafa Shayari


खुशियाँ तो कब की रूठ गयी हैं काश की,

इस ज़िन्दगी को भी किसी की नज़र लग जाये



👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत के बाद 👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत मुमकिन तो है,

पर टूट कर चाहना सिर्फ एक बार होता है..

कौन खरीदेगा अब हीरों के दाम में 🧖🏾तुम्हारें आंशू,

वो जो दर्द का सौदागर था, 👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत छोड़ दी उसने.



काश वो नगमे सुनाए ना होते,

आज उनको सुनकर ये आँसू आए ना होते,

अगर इस तरह भूल जाना ही था,

तो इतनी गहराई से ❤️दिल्मे समाए ना होते….




है.. कोई वक़ील,

जहान में… दोस्तों,

जो हारा हुआ इश्क़ जिता दे मुझको



काश बनाने वाले ने ❤️दिल कांच के बनाये होते,

तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते

न ठहरो मेरे ❤️दिल की वादी में चलते चले जाओ,



रूकोगी तो फिर से इश्क कर बैठोगी

मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह,

उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समजा होगा….



🙅मैंने 🙋🏻इंसान की वफ़ा पर यकीन करना छोड़ दिया है,

जब किस्मत बदल सकती है तो ये मिट्टी के 🙋🏻इंसान क्यों नहीं

अहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानो का,

कही सपनो से लोगो का ऐतबार ना उठ जाए….


एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए - Bewafa Shayari


उन से कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे,

बेशक साँसे उनकी है… पर जान तो मेरी है.…



कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को 🙅मैं,

मौत 🙋🏻इंसानों को आती है यादों को नहीं



👩🏽‍❤️‍👩🏼प्यार में मेरे सब्र का इम्तेहान तो देखो,

वो मेरी ही बाँहों में सो गए किसी और के लिए रोते रोते

ऐ चांद चला जा क्यो आया है मेरी चौखट पर,

छोड गये वो शख्स जिसकी याद मे हम तुझे देखा करते थे



किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया,

बोझ शरीर का नही साँसों का था.

खामोश रह... तनहा बैठ... याद कर उस को,

तूने इश्क़ किआ है गुनाह छोटा नहीं है तेरा



हौसला मुज में नहीं उसको भूलाने का,

काम सदियों का लम्हों में कहाँ होता है

बदलती चीज़ें हमेशा अच्छी लगती हैं... लेकिन,

बदलते हुए अपने कभी अच्छे नहीं लगते


एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए - Bewafa Shayari


अजीब लोग बसते है तेरे शहेर मे जालीम,

मरम्त कांच की करते है पथ्थर के औझार से.

अहेसान तो तेरा भी है एक मुझ पर ज़ालीम,

इन नजरों से ना तु नीकला... न 🙍मुझे नीकलने दीया.

हम ने कब माँगा है 🧖🏾तुम से अपनी वफ़ाओं का सिला



बस दर्द देते रहा करो "👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत" बढ़ती जाएगी

🙅मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ,

🧖🏾तुम तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे

उसे ये कोन बतलाये... उसे ये कोन समझाए कि,

खामोश रहने से ताल्लुक टूट जाते है



समंदर के बीच पहुँच कर फ़रेब किया उसने,

वो कहता तो सही… किनारे पर ही डूब जाते हम

इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना,

सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं…



वो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है,

इसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए

इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ,

शायद 🧖🏾तुमने ही... पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है 🙍मुझे.…



ख़बरदार दुबारा 👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत न करना,

जरुरी नहीं हर बार खुदकुशी की कोशिश करके जिन्दा बच जाओगे


एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए - Bewafa Shayari


👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत भी होती है तो ज़रुरत के पेश-ए-नज़र,

अब एक नज़र में लुट जाने का ज़माना नहीं रहा

जिन्दगी आज कल गुजर रही है इम्तिहानो के दौर से,

एक जख्म भरता नही दूसरा आने की जिद करता है….



भरम है.. तो भरम ही रहने दो…. जानता हूं मोहोब्बत नहीं है,

पर जो भी है… कुछ देर तो रहने दो…



फिर कहीं से दर्द के सिक्के मिलेंगे,

ये हथेली आज फिर खुजला रही है...

पढ़नेवाले की कमी है,

वरना…गिरते आँसू भी एक किताब है……



🙅मैं मर भी जाऊ... तो उसे ख़बर भी ना होने देना,

मशरूफ़ सा शख्स है... कही उसका वक़्त बर्बाद ना हो जाये…






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