ishq shayari | इश्क शायरी -
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं,
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो।
किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा,
ना अपनी है खबर ना 💗दिल का पता है,
कसूरवार था मेरा ये दौर-ए-जवानी,
मैं समझता रहा सनम की खता है।
इश्क़ है अगर शिकायत न कीजिए..!
और शिकवे हैं तो
मोहब्बत न कीजिए..!!
रूठना ना मनाना, ना गिला ना शिकवा कर,
गर करना है तो बस इश्क़ कर, बे-इन्तहा कर।
.जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे।
मेरे हवास इश्क़ में क्या कम हैं मुंतशिर,
मजनूँ का नाम हो गया क़िस्मत की बात है।
वो कहता है की बता तेरा दर्द कैसे समझू ..
मैंने कहा की इश्क़ कर और कर के हार जा …!!
जरुरी तो नहीं, हर चाहत का मतलब इश्क हो,
कभी कभी कुछ अनजान रिश्तों के लिए भी…
💗दिल बेचैन हो जाता है…!!!!
इश्क़ के चर्चे भले ही सारी दुनिया में होते होंगे,
पर 💗दिल तो ख़ामोशी से ही टूटते हैं….!!!!
तेरे ख़त में इश्क की गवाही आज भी है,
हर्फ़ धुंधले हो गए पर स्याही आज भी है।।
चर्चे… किस्से…नाराजगी आने दो,
मुझको इश्क़ में और
इश्क़ को मुझमें मशहूर हो जाने दो।
सिर्फ सितारों में ही होती मोहब्बत अगर,
तो इन अल्फाजों को खूबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बनकर रह जाता ताजमहल,
अगर इश्क़ इसे अपनी पहचान ना देता।
इसमें इश्क़ की किस्मत भी बदल सकती थी,
जो वक़्त बीत गया मुझको आजमाने में।
इश्क में तेरे जागा वर्षों और तन्हाई बनी रही,
धूप रही 🧝🏼♂️मेरे चौतरफा पर पुरबाई बनी रही।
लगाके इश्क़ की बाजी सुना है 💗दिल दे बैठे हो,
मुहब्बत मार डालेगी अभी 🙅🏼तुम फूल जैसे हो।
किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा,
ना अपनी है खबर ना 💗दिल का पता है,
कसूरवार था मेरा ये दौर-ए-जवानी,
मैं समझता रहा सनम की खता है।
मैंने रंग दिया है हर पन्ना तेरी यादों से,
मेरी किताबों से पूछ इश्क किसे कहते हैं।
उसी से पूछ लो उसके इश्क की कीमत,
हम तो बस भरोसे पे बिक गए
दो बातें उनसे की तो 💗दिल का दर्द खो गया,
लोगों ने हमसे पूछा कि 🙅🏼तुम्हें क्या हो गया,
बेकरार आँखों से सिर्फ हँस के हम रह गए,
ये भी ना कह सके कि हमें इश्क़ हो गया…।





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