रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए - Sad Shayari [ उदास शायरी ] - Shayari Khajana365

Deepak Kumar Bind


[ उदास शायरी ]

रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं  तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए - Sad Shayari [ उदास शायरी ] - Shayari Khajana365



रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने 🙅मैं

तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए



क्या बुरा है के 🙅मैं इक़रार 👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत करलो

वो लोग वैसे तो कहते है गुनहगार हूँ 🙅मैं



तेरी महेफिल से उठे थे किसी को खबर तक ना थी

बस तेरा मोड़ मोड़ कर देखना हमें बदनाम कर गया



🧖🏾तुम 👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत भी मौसम की तरह करते हो

कभी बरसते हो तो कभी एक बूंद के लिए तरसते हो


रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं  तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए - Sad Shayari [ उदास शायरी ] - Shayari Khajana365


न हो जो बस 🙅मैं कभी इसका वादा नहीं करते

कुछ लोग कह कर भी दिखावा नहीं करते



इस दुनिया में वफ़ा करने वालो की कमी नहीं है

बस उसी से हो जाता है जिसे अपने की क़दर नहीं



एक पल 🙅मैं जो बर्बाद कर देते है ❤️दिल की बस्ती को फ़राज़

वो लोग दिखने में बड़े मासून होते है



गरूर तो होता था उनको हमारी 👨🏼‍❤️‍👨🏼मोहब्बत की सिद्दत देख कर

मगर वो अपनी काडर की सोच 🙅मैं हमारी कीमत भूल गया


रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं  तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए - Sad Shayari [ उदास शायरी ] - Shayari Khajana365


तेरे साथ रहने पर मेरा बस नहीं तुझे भोलना भी महाल है

में कहाँ गुजरों ये ज़िन्दगी मेरे सामने सवाल है



आखिर ज़िन्दगी ने पूछ ही लिया कहा है वो शख्स

जो तेरी ज़िन्दगी में सब से अज़ाज़ शक था



तेरी मुश्कान तारे लहेज़ा तेरे मासूम से अलफ़ाज़

किया कहू बस बहुत याद आते हो 🧖🏾तुम



नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है

उनकी आगोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं


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