[ उदास शायरी ]
रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने 🙅मैं
तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए
क्या बुरा है के 🙅मैं इक़रार 👨🏼❤️👨🏼मोहब्बत करलो
वो लोग वैसे तो कहते है गुनहगार हूँ 🙅मैं
तेरी महेफिल से उठे थे किसी को खबर तक ना थी
बस तेरा मोड़ मोड़ कर देखना हमें बदनाम कर गया
🧖🏾तुम 👨🏼❤️👨🏼मोहब्बत भी मौसम की तरह करते हो
कभी बरसते हो तो कभी एक बूंद के लिए तरसते हो
न हो जो बस 🙅मैं कभी इसका वादा नहीं करते
कुछ लोग कह कर भी दिखावा नहीं करते
इस दुनिया में वफ़ा करने वालो की कमी नहीं है
बस उसी से हो जाता है जिसे अपने की क़दर नहीं
एक पल 🙅मैं जो बर्बाद कर देते है ❤️दिल की बस्ती को फ़राज़
वो लोग दिखने में बड़े मासून होते है
गरूर तो होता था उनको हमारी 👨🏼❤️👨🏼मोहब्बत की सिद्दत देख कर
मगर वो अपनी काडर की सोच 🙅मैं हमारी कीमत भूल गया
तेरे साथ रहने पर मेरा बस नहीं तुझे भोलना भी महाल है
में कहाँ गुजरों ये ज़िन्दगी मेरे सामने सवाल है
आखिर ज़िन्दगी ने पूछ ही लिया कहा है वो शख्स
जो तेरी ज़िन्दगी में सब से अज़ाज़ शक था
तेरी मुश्कान तारे लहेज़ा तेरे मासूम से अलफ़ाज़
किया कहू बस बहुत याद आते हो 🧖🏾तुम
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उनकी आगोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं

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