आराम से कट रही थी तो अच्छी थी,
जिंदगी तू कहाँ इन 👀आँखों की, बातों में आ गयी
जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे
तेरे ही अक्स को तेरा दुश्मन बना दिया
आईने ने मज़ाक़ में सौतन बना दिया…
🙍मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद तो सो जाता है, 🙍मुझे करवटों में छोड़ कर.
मुस्क🌆राते रहो तो दुनिया आप के कदमों मे होगी,
वरना आसुओ को तो आखे भी जगह नही देती
हमें तो 👩🏽❤️👩🏼प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं,
और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम.
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,
लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया है…
आपकी यादें भी हैं, मेरे बचपन के खिलौनो जैसी,
तन्हा होते हैं तो इन्हें ले कर बैठ जाते हैं…
🔥चिराग कोई जलाओ की हो वजूद का एहसास,
इन अँधेरों में मेरा साया भी छोड़ गया मुझको.
नींद को आज भी शिकवा है मेरी 👀आँखों से,
🙅मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले.
कितने मसरूफ़ हैं हम जिंदगी की कशमकश में,
इबादत भी जल्दी में करते हैं फिर से गुनाह करने के लिए
थक सा गया हूँ, खुद को सही साबित करते करते,
खुदा गलत हो सकता है, मगर मेरी मुहब्बत नहीं……
मै झुकता हूँ हमेशा आँसमा बन के,
जानता हूँ कि ज़मीन को उठने की आदत नही…
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है.
जिस्म का ❤️दिल से अगर वास्ता नहीं होता,
क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता
तु हजार बार भी रूठे तो मना लुगाँ तुझे,
मगर देख, मुहब्बत में शामिल कोई दुसरा न हो.
घर से तो निकले थे हम ख़ुशी की ही तलाश में,
किस्मत ने ताउम्र का ह🙅मैं मुसाफिर बना दिया.
अगर है दम तो चल डुबा दे मुजको,
समंदर नाकाम रहा, अब तेरी आँखो की बारी
तूने हसीन से हसीन चेहरो को उदास किया है,
ए इश्क,
तू अगर इन्सान होता तो तेरा पहला कातिल मै होता.
🧖🏾तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके,
तकिये से रोज़ 🌆रात थोड़ी नींद उधार लेता हु.
पलकें खुली 🌇सुबह तो ये जाना हमने,
मौत ने आज फिर हमें ज़िन्दगी के हवाले कर दिया
ज़माना जब भी 🙍मुझे मुश्किल मे डाल देता है,
मेरा ख़ुदा हज़ार रास्ते निकाल देता है
गुलाम हु मै अपने घर के संस्कारो का,
वरना मै भी लोगो को उनकी औकात दीखाने का हुनर रखता हुं.
🧖🏾तुम सामने आये तो, अजब तमाशा हुआ,
हर शिकायत ने जैसे, खुदकुशी कर ली






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